संधि और समास में अन्तर-
1. संधि में दो वर्णों मेल होता है। जैसे - पो +अन = पवन {( ओ + अ = अव ) यहाँ 'ओ' और 'अ' वर्ण का मेल हुआ }
समास में दो या दो से अधिक पदों का मेल होता है, जैसे - दिन और रात समास होकर बना - दिन-रात, ( यहाँ 'दिन' पहला पद है और दूसरा पद 'रात' है )
2. संधि में वर्णों के रूप में परिवर्तन होता है , जैसे - जगत् + ईश = जगदीश ( यहाँ पर 'त्' वर्ण का मेल 'ई' स्वर (वर्ण) से हुआ, जो परिवर्तित होकर 'दी' बन गया, व्यंजन संधि )
जबकि समास में ऐसा नहीं होता। समास में कारक चिन्हों का या समुच्चयबोधक अव्ययों का लोप हो जाता है,जैसे - रसोई के लिए घर का सामासिक रूप हुआ - रसोईघर ( यहाँ पर 'के लिए' कारक चिन्ह का लोप हो गया है )
3.सन्धि युक्त शब्द को अलग-अलग करने की प्रक्रिया संधि विच्छेद कहलाती है, जैसे - मनोकामना का संधि विच्छेद है - मनः + कामना।
समास के पदों को अलग-अलग करने की प्रक्रिया को समास विग्रह कहा जाता है , जैसे- पदच्युत सामासिक पद का विग्रह है - पद से च्युत( अपादान तत्पुरुष समास ) ।
1. संधि में दो वर्णों मेल होता है। जैसे - पो +अन = पवन {( ओ + अ = अव ) यहाँ 'ओ' और 'अ' वर्ण का मेल हुआ }
समास में दो या दो से अधिक पदों का मेल होता है, जैसे - दिन और रात समास होकर बना - दिन-रात, ( यहाँ 'दिन' पहला पद है और दूसरा पद 'रात' है )
2. संधि में वर्णों के रूप में परिवर्तन होता है , जैसे - जगत् + ईश = जगदीश ( यहाँ पर 'त्' वर्ण का मेल 'ई' स्वर (वर्ण) से हुआ, जो परिवर्तित होकर 'दी' बन गया, व्यंजन संधि )
जबकि समास में ऐसा नहीं होता। समास में कारक चिन्हों का या समुच्चयबोधक अव्ययों का लोप हो जाता है,जैसे - रसोई के लिए घर का सामासिक रूप हुआ - रसोईघर ( यहाँ पर 'के लिए' कारक चिन्ह का लोप हो गया है )
3.सन्धि युक्त शब्द को अलग-अलग करने की प्रक्रिया संधि विच्छेद कहलाती है, जैसे - मनोकामना का संधि विच्छेद है - मनः + कामना।
समास के पदों को अलग-अलग करने की प्रक्रिया को समास विग्रह कहा जाता है , जैसे- पदच्युत सामासिक पद का विग्रह है - पद से च्युत( अपादान तत्पुरुष समास ) ।
Superr
जवाब देंहटाएंलंबोदर संधि है या समास ?
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