कारक के आधार पर तत्पुरुष समास के प्रकार लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
कारक के आधार पर तत्पुरुष समास के प्रकार लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

मंगलवार, 19 दिसंबर 2017

कारक के आधार पर तत्पुरुष समास के कितने भेद है ? उदाहरण सहित समझाइए ।

उत्तर - कारक के आधार पर तत्पुरुष समास के छः भेद हैं -

  1.  कर्म तत्पुरुष - जिस समास के पूर्व पद में कर्म कारक ( को )  का लोप होता है , उसे कर्म तत्पुरुष कहते  हैं ।  जैसे - शरणागत - शरण को आया हुआ । स्वर्ग- प्राप्त - स्वर्ग को प्राप्त।  विदेश-गमन - विदेश को गमन, विकासोन्मुख - विकास को उन्मुख, पक्षधर - पक्ष को धारण करने वाला, तर्कसंगत- तर्क को संगत, मरणासन्न - मरण को आसन्न  आदि । 
  2. . करण तत्पुरुष -  जिस समास के पूर्व पद में करण  कारक ( से ,द्वारा  )  का लोप होता है , उसे करण  तत्पुरुष कहते हैं । जैसे - तुलसीकृत - तुलसी द्वारा कृत । हस्तलिखित - हाथ से लिखा हुआ । इतिहास सम्मत - इतिहास से सम्मत। कालप्रवाह - काल का प्रवाह।  परम्परा-प्राप्त - परम्परा से  प्राप्त।  राज्यच्युत - राज्य से च्युत। बैलगाड़ी-  बैलो से चलने वाली गाड़ी। अकाल पीड़ित- अकाल से  .पीड़ित।मोहांध - मोह से अंधा। धर्मांध - धर्म से अंधा । आँखों देखी - आँखों से देखी । भड़भूजा- भाड़ द्वारा भूजनेवाला । मदांध - मद (घमंड) सा अंधा । मदमत्त- मद  से मत्त । क्षुधातुर- क्षुधा से आतुर । वाग्युद्ध- वाक् से युध्द   आदि  
  3. संप्रदान तत्पुरुष - जिस समास के पूर्व पद में सम्प्रदान  कारक ( के लिए )  का लोप होता है , उसे सम्प्रदान  तत्पुरुष कहते हैं । जैसे - देश-भक्ति - देश के लिए भक्ति । रसोईघर - रसोई के लिए घर । डाकगाड़ी- डाक के लिए गाड़ी।  विद्यालय - विद्या ( देने ) के लिए आलय।  हवन-सामग्री- हवन के लिए सामग्री।  हथकड़ी - हाथ के लिए कड़ी।  सत्याग्रह - सत्य के लिए आग्रह।  भूतबलि - भूत के लिए बलि।  छात्रावास- छात्रों के लिए आवास।  समाचार-पत्र - समाचार के लिए पत्र।  यज्ञशाला - यज्ञ के लिए शाला।  रेलभाड़ा- रेल के लिए भाड़ा।  जनहित - जन के लिए हित।  कृषिभवन- कृषिभवन, युववाणीं - युवाओं  के लिए वाणीं।  चूहेदानी - चूहे के लिए दानी। कर्णफूल - कर्ण  के लिए फूल।  हथफूल- हाथ के लिए फूल। मालगाड़ी - माल ढोने के लिए गाड़ी   आदि 
  4. अपादान तत्पुरुष-  जिस समास के पूर्व पद में अपादान   कारक (से )  का लोप होता है , उसे अपादान   तत्पुरुष कहते हैं । जैसे - पथभ्रष्ट - पथ से भ्रष्ट । जन्मांध - जन्म से अंधा। ऋण मुक्त- ऋण से मुक्त।  पदच्युत- पद से च्युत ( पृथक ) आशातीत- आशा से अतीत।  कामचोर- काम से चोर।  धर्मविरत - धर्म से विरत ( अलग) । हतश्री- श्री से हत ( रहित)।  विवाहेत्तर- विवाह से इतर।  राजद्रोह - राज से द्रोह।  लोकभय - लोक से भय।  
  5. अधिकरण तत्पुरुष - जिस समास  में अधिकरण  कारक (में,पर  )  का लोप होता है , उसे अधिकरण    तत्पुरुष कहते हैं । जैसे - आपबीती - अपने पर बीती । पुरुषोत्तम - पुरुषों  में उत्तम । कविराज- कवियों में राजा।  देवराज - देवों  में राजा।  सिरदर्द- सिर में दर्द।  ऋषिराज - ऋषियों में राजा।  गृहप्रवेश - गृह में प्रवेश।  घुड़सवार - घोड़े में सवार।  तल्लीन- उसमें (तद् ) में लीन। मनमौजी - मन में मौजी।देवाश्रित - देव  पर आश्रित।
  6. सम्बन्ध तत्पुरुष -  जिस समास  में सम्बन्ध  कारक (का,के,की )  का लोप होता है , उसे सम्बन्ध   तत्पुरुष कहते हैं । जैसे - राजपुरुष - राजा का पुरुष । घुड़दौड़ - घोड़ों की दौड़ । नरबलि - नर  की  बलि। स्वास्थ्यवर्धक - स्वास्थ्य का वर्धन करने वाला।  रक्तपात- रक्त का पात।  दुःखसागर - दुःख का सागर।  रामचरित- राम का चरित।  नियमावली- नियमों की अवली।  मृत्युदंड - मृत्यु का दंड।  मंत्रिपरिषद - मन्त्रियोंकी परिषद् 

नञ तत्पुरुष  ( नकारात्मक अर्थ देने वाला समास )

  • दूसरा पद प्रधान होता है।  
  • रूप परिवर्तन होने के कारण यह अव्ययीभाव से अलग है।  
  • इस समास के पूर्व नकारात्मक अर्थ व्यक्त करने वाले उपसर्गों का प्रयोग होता है।  जैसे - अ , अन आदि 
उदहारण - अनाथ, अछूत, अधर्म, अदृश्य, अमंगल, अलौकिक, अकारण, असत्य, अचेतन, अज्ञान, अधीर, अनश्वर, अविकल्प, अप्रिय, अकाल, असभ्य , अनाचार, अनभिज्ञ , अनिष्ट, अनादि, अनावश्यक, अनसुना, अनछुआ, अनदेखा, अनचाहा, अनजाना, अनवन, अनपढ़ आदि। 

गुरुवार, 5 जनवरी 2017

तत्पुरुष समास किसे कहते हैं ?

उत्तर - जिस समास  का उत्तरपद  प्रधान हो और समास करने पर विभक्ति का लॉप हो जाए , उसे तत्पुरुष समास कहते हैं । जैसे - 
सामासिक पद                          विग्रह 
तुलसीकृत                               तुलसी द्वारा कृत 
देश-भक्ति                                 देश के लिए भक्ति 
रसोईघर                                  रसोई के लिए घर 
पथभ्रष्ट                                    पथ से भ्रष्ट 
स्वर्ग-प्राप्त                                स्वर्ग को प्राप्त 
पुरुषोत्तम                                 पुरुषों में उत्तम 
अग्निभक्षी                              अग्नि को  भक्षण करने वाला 
सुखप्राप्त                                  सुख को प्राप्त 
शत्रुघ्न                                    शत्रु को मरने वाला 
इन्द्रियातीत                            इन्द्रियों की पहुँच से दूर 
यशोदा                                    यश को देने वाली 
कामचोर                                 काम से चोर 
देवदत्त                                    देव द्वारा दत्त 
आशातीत                              आशा से अतीत 
शरणागत                              शरण को आगत 
सर्वभक्षी                                सब को भक्षण करने वाला 
आतपजीवी                           आतप से जीनेवाला 
मदान्ध                                 मद से अंध 
रोगग्रस्त                               रोग से ग्रस्त 
धर्मान्ध                                 धर्म से अन्धा 
स्नानागार                             स्नान के लिए आगार 
सत्याग्रह                              सत्य के लिए आग्रह 
कर्तव्यच्युत                          कर्तव्य से च्युत 
सूर्योदय                                 सूर्य का उदय 
गंगाजल                               गंगा का जल 
दिनचर्या                               दिन की चर्या 
राष्ट्रपति                                राष्ट्र का पति 
राजभवन                             राजा का भवन 
आत्मनिर्भर                         आत्म पर निर्भर 
नीतिनिपुण                          नीति में निपुण 
आपबीती                             आप पर बीती 
गृहप्रवेश                              गृह में प्रवेश 
पुरुषसिंह                              पुरषों में सिंह 
पुत्रवधू                                 पुत्र की वधू 
धनहीन                                धन से हीन 
त्रिपुरारि                               त्रिपुर का अरि